कोरबा। हरदीबाजार क्षेत्र में ग्राम पंचायत कोरबी से मुड़ापार तक लगभग 4 किलोमीटर लंबी जर्जर सड़क की मरम्मत की वर्षों पुरानी मांग भले ही पूरी हो गई हो, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही ने ग्रामीणों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य के कारण हल्की बारिश में सड़क पर फिसलन बढ़ गई, जिससे बाइक सवारों के गिरने और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
पांच साल पुरानी मांग, लेकिन अधूरी राहत
पिछले पांच वर्षों से जर्जर हालत में पड़ी इस सड़क की समस्या को एक अखबार ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद कलेक्टर अजीत वसंत ने डीएमएफ फंड से 1 करोड़ 81 लाख 93 हजार रुपये की राशि स्वीकृत कर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को सड़क निर्माण का जिम्मा सौंपा।
कार्य ठेकेदार को दिया गया, लेकिन ठेकेदार ने मुरुम के बजाय साधारण मिट्टी डालकर निर्माण कार्य किया। नतीजतन, मौसम बदलते ही हल्की बारिश में सड़क की हालत बदतर हो गई, जिससे राहगीरों का चलना मुश्किल हो गया।
ग्रामीणों की शिकायत, ठेकेदार की मनमानी
ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों ने शुरू से ही सड़क में मुरुम डालने की मांग की थी, लेकिन ठेकेदार ने उनकी मांग को अनसुना कर मनमानी की। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की खराब गुणवत्ता के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि पीडब्ल्यूडी और जिम्मेदार अधिकारियों ने ठेकेदार के इस लापरवाह कार्य की जाँच क्यों नहीं की और अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
ग्रामीणों की मांग: सुधार और सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि सड़क निर्माण में तत्काल सुधार किया जाए और मुरुम डालकर सड़क को दुरुस्त किया जाए। साथ ही, ठेकेदार पर लापरवाही के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो उनकी परेशानियाँ और बढ़ेंगी।
प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
यह मामला अब प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर रहा है। ग्रामीणों की नजर इस बात पर टिकी है कि प्रशासन उनकी शिकायतों को कितनी गंभीरता से लेता है और ठेकेदार की मनमानी पर कब तक लगाम लगाता है।
Editor – Niraj Jaiswal
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