औद्योगिक नगरी कोरबा में पुस्तकों के प्रति लोगों का रुझान दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। युवा, नौकरीपेशा लोग और वरिष्ठ नागरिक तक नगर निगम द्वारा संचालित सार्वजनिक वाचनालय की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह वाचनालय ज्ञान का भंडार बनकर उभरा है, जहां साहित्य, विज्ञान, इतिहास, आत्मकथा, उपन्यास, प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें और बच्चों के लिए रोचक सामग्री उपलब्ध है। विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) से ठीक पहले यह ट्रेंड शहर में पढ़ने की संस्कृति को पुनर्जनन का संदेश दे रहा है।
वाचनालय में सुविधाएं और चुनौतियां
नगर निगम का यह सार्वजनिक वाचनालय न केवल बैठकर पढ़ने की सुविधा प्रदान करता है, बल्कि सीमित कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से डिजिटल पुस्तकों तक पहुंच भी देता है। हालांकि, संसाधनों की कमी के कारण पाठकों को कंप्यूटर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। वाचनालय में उपलब्ध विविध विषयों की पुस्तकें पाठकों को नई जानकारी और भ्रांतियों से मुक्ति दिलाने में मदद कर रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुस्तकें जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और इन्हें केवल विश्व पुस्तक दिवस तक सीमित नहीं रखना चाहिए।
डिजिटल युग में पढ़ने की वापसी
आज के डिजिटल युग में, जहां मोबाइल और सोशल मीडिया ने युवाओं का ध्यान भटकाया है, कोरबा में पुस्तकों के प्रति बढ़ता रुझान एक सुखद संकेत है। पाठक मानते हैं कि हर किताब, चाहे वह विज्ञान, कला, मनोविज्ञान या साहित्य की हो, कुछ न कुछ सिखाती है। पुस्तकों के पन्ने पलटते समय पाठक न केवल ज्ञान अर्जित करता है, बल्कि अपने दृष्टिकोण को भी व्यापक बनाता है।
पुस्तकालयों को और सशक्त करने की जरूरत
स्थानीय लोगों और पाठकों ने मांग की है कि वाचनालयों को और अधिक सुविधाजनक और तकनीकी रूप से सुसज्जित किया जाए। अधिक कंप्यूटर सिस्टम, डिजिटल लाइब्रेरी की बेहतर पहुंच और आधुनिक सुविधाओं से पुस्तकालयों को और आकर्षक बनाया जा सकता है। यह न केवल पढ़ने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा, बल्कि कोरबा में ज्ञान की परंपरा को और मजबूत करेगा।
विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर कोरबा के इस उत्साहजनक रुझान ने शहर को एक नई दिशा दिखाई है, जहां किताबें फिर से लोगों की सबसे अच्छी मित्र बन रही हैं।
Editor – Niraj Jaiswal
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