जिंदगी को रौशन करने का माध्यम बनी सूरजमुखी की खेती

कोरबा। जिले के भटगांव क्षेत्र में कृषक दिलीप कुमार कंवर ने अपनी बंजर जमीन को पहले उपजाऊ बनाया और फिर उस पर सूरजमुखी और मूंगफली की खेती करनी शुरू कर दी। आज इस किसान की बंपर कमाई हो रही है।


जानकारी के अनुसार दिलीप कुमार कंवर आदिवासी समुदाय से आते हैं। उनके पास जो थोड़ी सी जमीन थी वह भी पूरी तरह बंजर थी। उन्होंने अपने खेत को उपजाऊ बनाने की ठानी। खेतों की महीनों तक खूब जुताई की और उनमें जैविक खाद डाला। इस तरह से जमीन फसल लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई।

दिलीप जानकारी देते हुए बताते हैं कि जब खेत पूरी तरह से तैयार हो गए तो उन्होंने इस पर धान-गेहूं की जगह सूरजमुखी की खेती करने की सोची। वह बताते हैं कि पहली बार मैंने रतनपुर में सूरजमुखी के खेत देखे थे। फिर इस खेती की पूरी जानकारी ली।

इसके बाद सूरजमुखी के बीज खरीदकर अपने खेतों में बुआई की। अब वर्तमान समय में वह सूरजमुखी के साथ मूंगफली की भी खेती कर रहे हैं। तीन एकड़ खेत में दोनों फसलों की खेती करी। इस तरह से वह एक समय में दोहरी खेती कर रहे हैं।

दिलीप बताते हैं कि इस फरवरी में जिस सूरजमुखी और मूंगफली की फसल लगाई है, उसे मई में काटने की तैयारी है। उम्मीद है कि मूंगफली और सूरजमुखी दोनों से ही तेल निकालकर दो से ढाई लाख रुपए का मुनाफा हो सकता है।

दिलीप बताते हैं कि जिस मेड़ को किसान खाली छोड़ देते हैं, वहां कोई फसल नहीं लगाते हैं, उस मेड़ पर मैं सूरजमुखी लगा देता हूं। सूरजमुखी की फसल के नीचे मूंगफली भी लगा रखी है। इस भीषण गर्मी के मौसम में भी उनके खेत में सूरजमुखी की फसल लहलहा रही है।

धान की फसल की तुलना में सूरजमुखी और उसके नीचे मूंगफली की खेती में कम मेहनत लगती है। इस फसल की सिंचाई भी कम करनी पड़ती है। इन दोनों फसलों की बाजार में मांग भी काफी रहती है।

दिलीप की देखादेखी उनके ग्राम  के अन्य किसानों ने भी सूरजमुखी की खेती करनी शुरू कर दी है। सूरजमुखी के फूल का आकार जितना बड़ा होगा, इससे उतना ही अधिक तेल निकलेगा।