कोरबा। भारतीय मजदूर संघ को छोड़ कर देश के सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनो के संयुक्त मंच ने पूरे मुल्क मे केंद्र सरकार द्वारा मौजूदा 44 श्रम कानूनों को समेट कर चार श्रम संहिताए क्रमशः सामाजिक सुरक्षा, पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति ,न्यूनतम वेतन एवं औद्योगिक संबंध मे बदले जाने के खिलाफ 23 सितंबर को देशव्यापी काला दिवस मनाने का फैसला लिया है।
इस संबंध मे एटक कोल फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने कहा कि केंद्र की सरकार ने पूर्व मे श्रम सुधार विधेयक पर चर्चा के दौरान संसद मे कहा था कि इन श्रम सुधारों का उद्देश्य हमारे श्रम कानूनों को कार्यस्थल की निरंतर बदलती हुई दुनिया के अनुरूप बनाना है। इसके साथ ही ये श्रम संहिताएं देश मे श्रमिकों के कल्याण लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
दीपेश मिश्रा ने कहा कि सरकार ने जो लेबर कोड लाया है उसके पूरी तरह से लागू होने पर देश का श्रमिक वर्ग पूरी तरह बंधुआ मजदूर होकर रह जाएगा उन्होंने आगे कहा कि सरकार लेबर कोड विधेयक के जरिए से मजदूर संगठनों एवं कामगारों पर पूरी तरह नकेल कसना चाहती है।
इसमें सबसे मजेदार बात तो यह है कि दरअसल सरकार ने लेबर कोड मे असल मे क्या क्या प्रावधान किया है और इससे किस प्रकार का फायदा होगा, ये किसी को भी पूरी तरह नहीं पता है क्योंकि संसद मे इस पर कोई गंभीर चर्चा ही नही की गई है और न ही संसदीय सिफारिशों को पूरी तरह समायोजित किया गया है। वास्तविक स्थिति का तो तब पता चलेगा जब इसकी अधिसूचना जारी होगी।
दीपेश मिश्रा ने कहा कि मौजूदा सरकार की सोच मेहनतकश कामगार विरोधी है जो पूरे देश मे कॉन्ट्रेक्ट सिस्टम लादना चाहती है। इसी के तहत तमाम सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों का ताबड़तोड़ निजीकरण करने पर आमदा है।
जिस साइमन कमीशन की ब्रिटिश सरकार ने ठुकराया उसे भारत सरकार आगे बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा कि यह अजीब विडम्बना है कि देश मे आजादी के पहले जब अंग्रेजी हुकूमत हुआ करती थी तब 1929 मे सायमन कमिशन ने जो कॉन्ट्रेक्ट पद्धति कि सिफारिश की थी उसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह देशहित के खिलाफ है पर अब केंद्रीय सरकार पूरे देश मे ठेका पद्धति को आगे बढ़ा रही है जिसका संयुक्त श्रम संघ विरोध कर रहे हैं।
दरअसल यह सरकार कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं चुनिंदा बड़े उद्योग घरानों के दबाव मे ही श्रम कानूनों मे बदलाव का कवायद कर रही उन्होंने दावा किया कि जो विदेशी कंपनियां यंहा व्यापार करने आते है उनके देश मे एक मजबूत श्रम कानून है लेकिन जब वे भारत मे व्यापार करने आते हैं तो युनियन फ्री माहौल चाहते हैं।
इसी तरह जापान जहां दुनिया का सबसे अच्छा वर्क कल्चर है, वहाँ मालिक और मजदूर के बीच अच्छा रिश्ता होता है जो पूरे दुनिया के लिए रोल मॉडल है लेकिन जापान की मारूति सुजुकी कंपनी जब हरियाणा के मानेसर मे फैक्ट्री लगाती है तो ट्रेड यूनियन और स्थाई कर्मचारी नहीं होने की मांग करती है।
दीपेश मिश्रा ने अंत मे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे लेबर कोड का पूरी ताकत के साथ मुखालफत करने का संयुक्त श्रम संघों ने ऐलान किया है।
Editor – Niraj Jaiswal
Mobile – 9754876042
Email – urjadhaninewskorba@gmail.com
Address – Press Complex, T.P. Nagar, Korba C.G. 495677