छत्तीसगढ़ के कोरिया में रिकार्ड में हेराफेरी कर जमीन दूसरे के नाम पर करवा दी गई थी। नहर की सरकारी जमीन को नियम विरुद्ध नामांतरण कर कब्जा कराने के मामले में तत्कालीन तहसीलदार, जल संसाधन एसडीओ-सब इंजीनियर, अमीन पर मुकदमा चलेगा। हालांकि, जल संसाधन के सारे अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं।
इस मामले में कार्यपालन अभियंता जल संसाधन को 15 दिन के भीतर अपराध पंजीबद्ध कराना होगा। इस मामले को लेकर तत्कालीन तहसीलदार ऋचा सिंह के खिलाफ सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय रायपुर को अनुशंसा पत्र भेजा गया है। जल संसाधन विभाग के तीनों अधिकारी- कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
यह है पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम सागरपुर के ग्रामीणों ने वर्ष 2021-22 में न्यायालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी बैकुंठपुर में आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें बताया गया कि, ग्राम सागरपुर में भूमि खसरा नंबर 442/2 रकबा 0.097 हेक्टेयर, खसरा नंबर 442/3 रकबा 0.089 हेक्टेयर जल संसाधन विभाग के नाम पर वर्ष 1975 में दर्ज है। उस भूमि को किशुनराम के नाम पर पटवारी अभिलेख में दुरुस्थ कराया गया है। न्यायालय कलेक्टर ने प्रकरण की सुनवाई कर तहसीलदार बैकुंठपुर की ओर से 5 दिसंबर 2011 और 2 मार्च 2021 को निरस्त कर दिया गया है। मामले में जल संसाधन की सरकारी जमीन जमीन को नियम विरुद्ध नामांतरण पाए जाने के कारण निरस्त कर खसरा 442/3 रकबा 0.089 हेक्टेयर से किशुनराम का नाम विलोपित और जल संसाधन विभाग के नाम दर्ज करने आदेश दिए हैं।
इनके खिलाफ दर्ज होगी FIR
इस मामले में बैकुंठपुर की तत्कालीन तहसीलदार ऋचा सिंह, तत्कालीन उप अभियंता जल संसाधन विभाग आरसी जैन, तत्कालीन एसडीओ जल संसाधन विभाग आरसी सोनी और तत्कालीन अमीन जल संसाधन विभाग वैद्यनाथ शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।
Editor – Niraj Jaiswal
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