कोरबा: अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता योजना अपना उद्देश्य पूरा करने के पहले समाप्त हो गया है। योजना के तहत पांच साल पहले जिले में संचालित 2003 प्राथमिक व मिडिल स्कूलों को थ्री स्टार, ए, बी, सी और डी ग्रेड में बांटा गया था। जिन 299 स्कूलों को ए ग्रेड अंधरीकछार चार साल से पुताई नहीं हुई है। वहीं छुरी भांठापारा स्कूल मरम्मत के अभाव जर्जर हो चुका है। शिक्षा सत्र शुरू होने में कुछ दिन ही शेष रह गए हैं। बच्चों को वर्षा काल में वैकल्पिक व्यवस्था अथवा रिसते टपकते छत वाले कक्षा में बैठना पड़ेगा।
ग्रीष्म के दौरान स्कूलों का मरम्मत नहीं कराने का खामियाजा बच्चों को स्कूल शुरू होने पर भुगतना पड़ेगा। मानसून सिर पर होने के शिक्षा सत्र को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। ग्रीष्म अवकाश के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी जर्जर भवन की मरम्मत नहीं की गई है। भले ही इसे आंशिक समस्या माना जा रहा, किंतु रिसते टपकते छत वाले स्कूलों में वर्षा के दौरान अध्यापन कार्य प्रभावित होना तय है। अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता योजना के तहत वर्ष 2017-18 में जिले के संचालित प्राथमिक व मिडिल स्कूलों को संसाधन व सुविधाओं के आधार पर ए, बी, सी व डी ग्रेड में विभाजित किया गया। जिसमें सुधार होने से पहले साल ए ग्रेड स्कूल संख्या 299 थी वह दूसरे साल 2018-19 में शिक्षा गुणवत्ता के आधार संख्या बढ़कर 344 हो गई। वर्ष 2019-20 में ग्रेड ए स्कूलों का आकलन तो हुआ लेकिन उसका रिपोर्ट शिक्षा विभाग तक पहुंची ही नहीं। 2020-21 में कोरोना संक्रमण शुरू होने से यह योजना अपना उद्देश्य पूरा होने के पहले ही बंद हो गय। नियम के तहत प्रत्येक स्कूलों को ए ग्रेड स्तर तक लाना था। जिन स्कूलों को ए ग्रेड प्रदान किया गया है वहां अब भी भौतिक समस्या बरकरार है। नगर पंचायत छुरी के भांठापारा स्कूल को बी ग्रेड की श्रेणी में रखा गया था।
वहीं स्कूल वर्तमान में मरम्मत के लिए मोहताज है। यही दशा शहर के अंधरी कछार स्कूल में देखी जा सकती है। परिसर के बीआरसी भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। वर्षा के दौरान छत का पानी रिसकर कमरे में भर जाता है। निदान के लिए छत को हर साल पालीथीन से ढंका जाता है। स्कूल के अधिकांश कक्ष लगे सीट जीर्ण हो चुके हैं। ऐसे में यहां बारिश के दौरान संचालित कक्षाएं प्रभावित रहती है। शहरी क्षेत्र के स्कूल का यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का आकलन किया जा सकता है। समय रहते स्कूलों में मरम्मत नहीं कराए जाने के कारण दशा दयनीय नजर आ रही है। पहली से आठवीं कक्षा के अधिकांश बच्चे फर्श पर बैठते हैं। फर्नीचर की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। विद्यालयीन प्रबंधन की अनदेखी का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता। इस तरह की असुविधा केवल अंधरीकछार ही नहीं बल्कि ऐसे कई स्कूल हैं जिन्हे ए ग्रेड में शामिल करने की औपचारिकता की गई है।
पेयजल व शौचालय की समस्या
अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता योजना के तहत भौतिक संसाधनों की कमी से जूझ रहे स्कूलों के आधार पर स्कूलों को ग्रेडिंग किया गया था। ए ग्रेड का जो मापदंड निर्धारित किया गया था उनमें स्कूल का व्यवस्थित भवन, शिक्षक की नियुक्ति, पेयजल और शौचालय की सुविधा शामिल था। जिन स्कूलों को सी व डी ग्रेड प्राप्त है, वहां अब भी पेयजल जल और शौचालय की समस्या बरकरार है। पानी की सुविधा पर्याप्त नहीं होने से शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। बालिकाओं को स्कूलों में भी इस तरह की समस्या देखी जा सकती है।
मरम्मत राशि का नहीं हो रहा उपयोग
स्कूलों के मरम्मत के लिए शासन की ओर से प्रतिवर्ष राशि जारी की जाती है। इसके बाद भी भवन की दशा दयनीय है। कोरोना काल से पहले जिला शिक्षा विभाग की ओर मंगाई गई थी। जिसमें पांच विकासखंड से 534 स्कूलों के छत जर्जर होने कारण भवन का उपयोग नहीं होने की जानकारी आई थी। अभी तक इसमें सुधार की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। बच्चों को अतिरिक्त कक्ष में बैठाकर पढ़ाई की औपचारिकता की जा रही है।
18 से खुलेंगे स्कूलों के पट
आम तौर 16 जून से शुरू होने वाली शिक्षा सत्र इस बार 18 जून से शुरू होगी। 16 जून रविवार पड़ रह है वहीं 17 को ईद उल अजहा की अवकाश रहेगी। तपती धूप और उमस को देखते हुए राज्य शासन ग्रीष्म अवकाश का समय बढ़ाया भी जा सकता है। अभी भी मरम्मत कार्य कराई जा सकती है। राशि आवंटन के अभाव में कार्य वर्षों से लंबित हैं। चुनावी वर्ष होने की वजह सें शासन प्रशासन का पूरा ध्यान निर्वाचन में केंद्रित रहा है। इस वजह से भी मरम्मत कार्य में असर पड़ा है।
0 ग्रेड में विभाजित प्रायमरी व मिडिल स्कूल
ग्रेड- स्कूल संख्या
ए- 299
बी- 1089
सी- 558
डी- 59
Editor – Niraj Jaiswal
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