आधी रात बाद पहुंची हसदेव एक्सप्रेस, घर कैसे जाए अकेली महिला

कोरबा : गर्मी के दिनों में लंबी दूरी की यात्री ट्रेन लेटलतीफी बनी रहती है, पर तीन से चार घंटे में अपने गंतव्य पहुंचने वाली छोटी दूरी की ट्रेनों तीन से चार घंटा लेट हो, तो यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रायपुर से कोरबा चलने वाली हसदेव एक्सप्रेस की लेटलतीफी थम नहीं रही है। रविवार को ट्रेन आधी रात बाद कोरबा पहुंची। सबसे ज्यादा दिक्कत अकेली यात्रा कर रही महिला सवारियों को उठानी पड़ी। उन्हें घर जाने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।


रायपुर से कोरबा के बीच चलने वाली हसदेव एक्सप्रेस आमलोगों के बीच लोकप्रिय ट्रेन है। इससे लोग महत्वपूर्ण काम से रायपुर आना-जाना करते हैं। रविवार के दिन इस ट्रेन में भीड़ और भी बढ़ जाती है। सुबह जाकर रायपुर में काम निपटा शाम को पुन: इसी ट्रेन से वापस लौट जाते है। इसलिए दोनों की टिकट पहले से ही आरक्षित करा ली जाती है, पर ट्रेन के विलंब से चलने से न केवल यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि कई बार टिकट का पैसा भी बर्बाद हो जाता है।वहीं महिलाओं को काफी दिक्कत उठनी पड़ती है।

26 मई को रायपुर में महिला संगठनों की बैठक में शामिल होने काफी संख्या में महिलाएं रायपुर गई थीं। उन सभी को लौटते समय रायपुर से हसदेव एक्सप्रेस मिली। जिसे रि-शेड्यूल करते हुए रेल प्रशासन ने 26 मई की शाम छह बजे की बजाय रायपुर से ही रात को 9:23 बजे छोड़ा।


इससे अपने बच्चों के साथ अकेले ट्रेन पर सवार सैकड़ो महिला यात्री परेशान होने लगीं। दक्षिण पूर्व मध्य रेल जोन प्रशासन ने रीशेड्यूल की गई इस ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्रियों के समय की फिक्र नहीं की और न हीं पहले से लेट चल रही इस ट्रेन को टाइम मेकअप करने का कोई भी प्रयास किया। पीछे से आ रही ट्रेनों को क्रासिंग देने की वजह से यह ट्रेन अपने अंतिम स्टेशन कोरबा रात को 9.45 बजे की बजाय रात 2.32 बजे पर कोरबा पहुंची।

भाटापारा स्टेशन पर शाम को 6.53 की जगह रात को 10.27 और जोन मुख्यालय बिलासपुर स्टेशन पर रात 7.55 बजे की बजाय रात 12.50 पर पहुंची। ट्रेन में सवार महिला यात्री और बच्चे बहुत परेशान हो गए खासकर उन महिलाओं को बहुत परेशानी हुई जो इस ट्रेन में अकेले यात्रा कर रही थी। स्टेशन से बाहर निकलने के बाद इतनी देर रात में घर जाने के लिए आटो की व्यवस्था करना, किसी चुनौती से कम नहीं रहा। इसको देखते हुए लोगों ने जिला प्रशासन से स्टेशन से नगर के विभिन्न क्षेत्र तक पिंक सुरक्षित आटो की व्यवस्था करने की मांग की है। यही नहीं बिलासपुर से छूटने के बाद भी ट्रेन की चाल में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया।