सिम्स में रेजिडेंट डॉक्टरों और छात्रों के लिए अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा जाता है खाना, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

बिलासपुर के छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सिम्स) में रेजिडेंट डॉक्टरों और एमबीबीएस छात्रों के लिए खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित पॉलीथीन बैग में अस्वच्छ परिस्थितियों में रखे जाने की खबर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस मामले में सिम्स के डीन से जवाब तलब किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिम्स में पढ़ने वाले रेजिडेंट डॉक्टरों और एमबीबीएस छात्रों के लिए बाहर से मंगवाए गए खाद्य पैकेट्स को हॉस्टल के बाहर वाहन पार्किंग शेड में रखा जाता है। ये पैकेट पॉलीथीन बैग में होते हैं, जिन पर संबंधित छात्र या डॉक्टर का नाम लिखा होता है। डिलीवरी बॉय को हॉस्टल परिसर में प्रवेश की अनुमति न होने के कारण ये पैकेट बाहर अस्वच्छ परिस्थितियों में छोड़ दिए जाते हैं।

सिम्स में मेस की सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद, खाने की गुणवत्ता खराब होने के कारण अधिकांश छात्र बाहर से खाना मंगवाना पसंद करते हैं। सिम्स के मुख्य वार्डन के अनुसार, मेस का संचालन सिम्स प्रबंधन द्वारा नहीं, बल्कि एक गठित समिति द्वारा किया जाता है। छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए मेस में भोजन की व्यवस्था है, लेकिन इसकी गुणवत्ता को लेकर शिकायतें हैं।

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सिम्स के डीन को अगली सुनवाई से पहले व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट करना होगा कि इस समस्या के समाधान के लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्थाएँ की गई हैं।

इस मामले ने सिम्स में स्वच्छता और छात्रों की सुविधाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में इस पर और चर्चा होने की उम्मीद है।