विस्थापितों को रोजगार देने में हो रही आना-कानी
कोरबा। माटी अधिकार मंच ने आरोप लगाया है कि भू-अर्जन से प्रभावित भू-विस्थापितों को रोजगार देने के मामले में सरकार के बनाए नियम का पालन एसईसीएल नहीं कर रहा है। इस वजह से काफी संख्या में लोग रोजगार से वंचित है। दूसरी ओर प्रबंधन की गलत नीतियों से बीते वर्षों में फर्जी लोगों को नौकरी दे दी गई अब जांच पड़ताल में ऐसी चीजें सामने आ रही है।
प्रेस कांफ्रेंस में मंच के अध्यक्ष बृजेश श्रीवास, रविशंकर यादव ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि कोरबा जिले में 1955 से कोयला खनन हो रहा है। पूर्व सीएमडी एमके दीक्षित ने 2 मार्च 1979 को आदेश जारी किया था कि खातेदार के परिवार में रोजगार के लिए सदस्य नहीं होने पर दूर के रिश्तेदार को नामांकित किया जा सकता है।
31 जनवरी 1983 को एमपी सरकार ने इस बारे में नियम बनाया और कहा कि जिन किसानों की जमीन अर्जित की जा रही है उनके परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाए। भूमि आबंटन की लीज डीड में यह बात कही गई कि खनन के लिए भूमि आबंटित करने पर 20 वर्ष के बाद उसे समतल कर वापस किया जाए।
ऐसे नियमों का परिपालन एसईसीएल नहीं कर रहा है जबकि भू-विस्थापित परिवार से महिला को भी नौकरी देने की बात की गई थी। इस तरफ भी नकारात्मक स्थिति बनी हुई है।
माटी अधिकार मंच ने आरोप लगाया कि एसईसीएल अपनी हठधर्मिता करते हुए हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है और आदेश को मानने से लगातार इनकार कर रहा है।
Editor – Niraj Jaiswal
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