कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की मेगा प्रोजेक्ट्स गेवरा, दीपका और कुसमुंडा खदानों के आसपास अवैध कोयला खनन का गंभीर मामला सामने आ रहा है। स्थानीय ग्रामीण साइकिल, स्कूटी और अन्य वाहनों से कोयला चुराकर आसपास के ईंट भट्ठों, होटलों और ढाबों में 150 रुपये प्रति बोरी की दर से बेच रहे हैं। इस अवैध कारोबार में रोजाना 6 से 8 बोरी कोयला खपाया जा रहा है, लेकिन SECL की कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के चलते इस पर रोक नहीं लग पा रही है।
खनन क्षेत्रों में सुरक्षा घेरा लगभग न के बराबर है। नरईबोध, भिलाईबाजार और हरदीबाजार जैसे इलाकों में कोई घेरा नहीं होने से लोग आसानी से खदानों में घुसकर कोयला खोद रहे हैं। कई स्थानों पर सुरंगनुमा संरचनाएं बनाकर अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे मलबा धंसने की घटनाएं भी हो रही हैं। पिछले साल फरवरी 2024 में दीपका खदान में मलबा धंसने से तीन लोगों की मौत हुई थी, और हाल ही में एक और घटना में दो ग्रामीणों की जान गई।
SECL प्रबंधन को खदान की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अवैध खनन की जानकारी जिला प्रशासन को देने का कानूनी दायित्व है, लेकिन खनिज विभाग के अनुसार, इस साल या पहले कभी भी ऐसी जानकारी नहीं दी गई। खनिज अधिकारी प्रमोद नायक ने बताया कि जानकारी मिलने पर अवैध गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती है, लेकिन SECL की सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही और नियमित गश्त न होने से यह समस्या बढ़ रही है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी इस अवैध कारोबार की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। विशेषज्ञों का कहना है कि SECL को खदानों के चारों ओर मजबूत घेरा या नाले बनाकर सुरक्षा बढ़ानी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
Editor – Niraj Jaiswal
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