कोरबा। हर साल 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता के महत्व को समझाना और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। जैव विविधता न केवल पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में सहायक है, बल्कि यह हमारी आजीविका, भोजन, जल और स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की जैव विविधता को विशेष रूप से रेखांकित किया जाना चाहिए। कोरबा केवल औद्योगिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह जैव विविधता के मामले में भी एक अद्भुत क्षेत्र है। यहां के सघन जंगल और पर्वतीय क्षेत्र अनेक वन्य जीवों और वनस्पतियों का घर हैं, जो इस क्षेत्र को पारिस्थितिकी की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध बनाते हैं।






कोरबा की जैव विविधता में सबसे अनोखी बात यह है कि यहां किंग कोबरा जैसे दुर्लभ और महत्वपूर्ण प्राणी पाए जाते हैं जो दुनिया का सबसे लंबा विषैला साँप है। यह गौरव की बात है कि किंग कोबरा की उपस्थिति अब तक पूरे छत्तीसगढ़ में केवल कोरबा जिले में ही दर्ज की गई है।
यह इस क्षेत्र की जैव विविधता की विशेषता को दर्शाता है। इसके अलावा कोरबा के जंगलों में हाथी,तेंदुआ, भालू, जंगली बिल्ली, सांभर, शाही , कहट, ऊदबिलाव, उड़न गिलहरी, कबर बज्जू,हिरण, लंगूर, विभिन्न प्रजातियों के पक्षी, सरीसृप और कीट भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
कोरबा की जैव विविधता यह सिद्ध करती है कि यह क्षेत्र केवल खनिज और ऊर्जा संसाधनों में ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक संपदा में भी अत्यंत धनी है। इस समृद्ध वन्य जीवन को बचाना और समझना, न केवल पर्यावरण के लिए आवश्यक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जिम्मेदारी भी है।
इस विश्व जैव विविधता दिवस पर आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि कोरबा की जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे और इस अनमोल धरोहर को बचाए रखने में अपना योगदान देंगे।
Editor – Niraj Jaiswal
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