डीन सहारे ने बताया – कैसे होगा यह काम
कोरबा। अंधत्व निवारण को लेकर जारी प्रयासों के बीच नेत्रदान को लेकर लोगों की मानसिकता अनुकूल हो रही है। इस बीच कोरबा में भी नेत्रदान करना आसान होगा। वजह यह है कि इसके लिए खास संसाधन कोरबा को प्राप्त हो गया है।
मेडिकल कॉलेज कोरबा के डीन डॉक्टर केके सहारे ने पत्रकारवार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत विकास परिषद के प्रयास से यह कार्य संभव हुआ है और अब कोरबा में भी नेत्रदान की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।
नेत्रदाता की आंख से कॉर्निया निकालकर उसे जिस एमके मीडिया में रखकर सुरक्षित किया जाता है वह कोरबा को प्राप्त हो चुका है। कॉर्निया निकालने के पश्चात उसे तत्काल बिलासपुर स्थित सिम्स भेज कर वहां उसे किसी दृष्टिहीन को प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा।
डॉ. सहारे ने बताया कि कोरबा में भी नेत्र दान और देहदान करने वालों के परिजन उन लोगों को देख पाएंगे जिनके शरीर में उनके ही परिवार के किसी व्यक्ति का अंग प्रत्यारोपित किया गया है।
इस अवसर पर भारत विकास परिषद कोरबा इकाई के प्रथम अध्यक्ष रहे मुरलीधर मखीजा ने नेत्रदान और देहदान की घोषणा की। परिषद के वरिष्ठ सदस्य डीके कुदेशिया ने परिषद के स्थापना का उद्देश्य और अब तक के सफर के विषय में पत्रकारों को अवगत कराया।
प्रेस क्लब के संरक्षक मनोज शर्मा और अध्यक्ष राजेंद्र जायसवाल ने भारत विकास परिषद के इस प्रयास को ऐतिहासिक बताया और लोगों से कहा कि तन मन से परिषद के जरिए नेत्रहीनों को दृष्टि प्रदान करने में सहयोग करें।
पत्रकार वार्ता में भारत विकास परिषद की प्रांतीय इकाई के महासचिव नरेश अग्रवाल, सचिव कन्हैयालाल सोनी, कोषाध्यक्ष प्रेम रवि चंदानी, पूर्व सचिव और भारत को जानो प्रतियोगिता के प्रांतीय प्रभारी विष्णु शंकर मिश्रा, पूर्व प्रांतीय महासचिव कैलाश अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, तकनीकी सहयोगी अंशु अग्रवाल, श्रीमती पद्मिनी साहू सहित भारत विकास परिषद के कई पदाधिकारी व सदस्य भी उपस्थित रहे।
डॉ. कुजूर ने बताया, कैसे होता है प्रत्यारोपण
नेत्र विशेषज्ञ और मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनी किरण कुजूर ने नेत्रदान की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने भारत विकास परिषद द्वारा उपलब्ध कराया गया एक वीडियो दिखाकर पत्रकारों को बताया की कैसे सिर्फ चंद मिनट में ही नेत्र दानी की मौत के पश्चात आंखों की कॉर्निया निकाली जाती है। डॉ. कुजूर ने बताया की कॉर्निया निकालने के तत्काल बाद पहले से तैयार टीम उसे जरूरतमंद की आंखों में प्रत्यारोपित कर देती है।
Editor – Niraj Jaiswal
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