कोरबा। जिले के कोरबा और कटघोरा वनमंडलों में ‘ग्रीन गोल्ड’ यानी तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हो गया है। वैशाख की तपती गर्मी और मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद 99,300 संग्राहक परिवार इस कार्य में जुटे हैं।
कोरबा वनमंडल में 34,500 और कटघोरा में 64,800 परिवार तेंदूपत्ता बटोरकर अपनी आजीविका को मजबूत कर रहे हैं।
जंगल में तेंदू के पेड़ों पर हरे पत्तों की बहार छाई है, जो न केवल जंगल की सुंदरता बढ़ा रही है, बल्कि ग्रामीणों के लिए आय का प्रमुख स्रोत भी बनी हुई है। तेंदूपत्ता, जिसे ‘हरा सोना’ कहा जाता है, को संग्रहित करने के लिए ग्रामीणों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं।
संग्रहण से पहले नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ग्रामीण बलराम रठिया बताते हैं कि तेंदूपत्ता बांधने के लिए अटायन वृक्ष की छाल से खास रस्सी तैयार की जाती है, जो पत्तों को सुरक्षित रखती है और इसमें दीमक का खतरा नहीं होता।
शासन ने इस वर्ष तेंदूपत्ता की कीमत 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा तय की है, जो पिछले वर्ष के समान है। हालांकि, संग्राहक महिलाओं के लिए चरण पादुका देने का निर्णय लिया गया है। कुछ इलाकों में कीमतों को लेकर असंतोष की खबरें भी हैं, जिसके चलते अवैध संग्रहण की आशंका जताई जा रही है।
जिले का 60 प्रतिशत हिस्सा जंगलों से आच्छादित है, जहां तेंदूपत्ता के अलावा महुआ, चार, चिरौंजी जैसे वनोपज भी ग्रामीणों की आय का स्रोत हैं। संग्राहक और वन अधिकारी मौसम की चुनौतियों के बावजूद अच्छे संग्रहण की उम्मीद जता रहे हैं।
Editor – Niraj Jaiswal
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