कोरबा। आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने कहा कि मौजूदा सीजन में कफ और पित्त दोष की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि यह बसंत की समाप्ति और ग्रीष्म की शुरुआत का समय है। ऐसे में सभी लोगों को उचित खानपान पर ध्यान देना चाहिए।
डॉ. शर्मा ने जनहित में यह जानकारी उपलब्ध कराई और बताया कि बैसाख माह में ऋतु परिवर्तन का समय होने के कारण संक्रामक रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है और कमजोर पाचन शक्ति के कारण अपच, उल्टी, उदरशूल और डिहाइड्रेशन जैसी बीमारियाँ होने की संभावना भी अधिक रहती है। इसलिये विशेष रूप से हमें तैलीय, मसालेदार भारी भोजन, होटल के भोजन से परहेज करना चाहिये।
इस दौरान हल्का, ताजा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिये साथ ही बासी भोजन से परहेज करना चाहिये। बैसाख माह में वनस्पति तेल का सेवन नहीं करना चाहिये। इसके सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
बैसाख माह में बेल का सेवन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर है। अनाजों में जौ, सत्तू, दलिया, आटा, चावल, मक्के की खीर, मोंठ, मूंग, चना, तुअर दाल, मौसमी फल जैसे- बेल, संतरा, रसीले फल तरबूज, खरबुज, आम, मौसंबी, सेव, नारियल का सेवन बेहतर होगा।
साथ ही लौकी, ककड़ी, कद्दू, हरा धनिया, तरोइ, करेला, जिमीकन्द, सहजन की फली, पुदीना, चौलाई का उपयोग करने से स्वास्थ्य बेहतर होगा।
Editor – Niraj Jaiswal
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