जगदलपुर। नानगुर स्वामी आत्मानंद विद्यालय की नौवीं कक्षा की छात्रा राखी नाग विलक्षण हैं। वह जन्म से दिव्यांग है, परंतु पढ़ाई को लेकर ललक ऐसी है कि हाथ काम नहीं करते हैं तो पांव के पंजों से ही लिखने लगी।
सालों के अभ्यास से अब वह इतनी पारंगत हो चुकी है कि उसकी लिखावट किसी सामान्य बच्चे की तरह है, जो हाथों से लिखता है। राखी का परिवार कैकागढ़ पंचायत के बेंगलुरु गांव में रहता है।
कर्ज उतारना चाहती है बेटी
निर्धनता को माता–पिता ने कभी भी राखी की पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया और हमेशा ही उसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। अब राखी का सपना पढ़–लिखकर आईएएस अधिकारी बनना है। वह क्षेत्र के विकास में योगदान देना चाहती है।
वह कहती है कि माता–पिता ने बड़ी तकलीफें झेलकर उसे पढ़ाया है और वह अपने माता–पिता को एक अच्छा जीवन देने की इच्छा रखती है।
Editor – Niraj Jaiswal
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