छत्तीसगढ़ की राजधानी में एकमात्र ऐसा स्कूल है जहां प्राइमरी, मिडिल और हाईस्कूल के साथ-साथ कॉलेज भी संचालित होता है. लेकिय यहां पर टॉयलेट का आलम ये है कि गर्ल्स शौचालय में दरवाजा तक नहीं है. यहां करीब 2000 बच्चे पूरे दिन गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर है।
हम बात कर रहे है अमलीडीह के शासकीय स्कूल और कॉलेज की. यहां प्राइमरी, मिडिल और हाईस्कूल के साथ-साथ नवीन शासकीय महाविद्यालय भी संचालित होता है. लेकिन यहां पढ़ने वाले करीब 2 हजार बच्चों को साफ टॉयलेट भी नसीब नहीं हो रहा है. यहां बच्चे टॉयलेट बाहर जाने को मजबूर है।
कौन देगा सफाई का खर्चा ?
स्कूल और कॉलेज के गंदे टॉयलेट पीछे होने की वजह ये है कि यहां आने वाले सफाई के पैसे का लंबा खेल चल रहा है. वो इसलिए क्योंकि ये बिल्डिंग कागजों में प्राइमरी और हाई स्कूल की है. लेकिन यहां मिडिल स्कूल और कॉलेज की क्लासेस भी लग रही है. लेकिन जब टॉयलेट सफाई की बात आती है तो इसके खर्चे का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा गया. संभवतः यही कारण है कि यहां प्राचार्यों के आपसी मनमुटाव का खामियाजा बच्चों को गंदे टॉयलेट के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
वहीं स्कूल के ग्राउंड के अंदर ही कॉलेज के टीचर्स अपनी गाड़ियां रखते है, जिससे बच्चों को भी वहां खेलने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
Editor – Niraj Jaiswal
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