कोरबा । मछली बीज (स्पान) उत्पादन में जिले को आत्मनिर्भर बनाने खनिज मद से मत्स्य विभाग के तत्वावधान में दर्री बांध से लगे डांड़पारा में पांच साल पहले 17 लाख की लागत से दो तालाब तैयार किया गया है। तालाब का निर्माण गुणवत्ता से परे बांध के उपरी क्षेत्र में किया गया है। वर्षा का पानी तालाब में ठहरने के बजाए बांध में बह जाता है। जल भराव के अभाव में तालाब में मछली बीज तैयार करना संभव नहीं है।
पर्याप्त मात्रा में बीज नहीं होने से मछुआरों को तालाबों में व्यवसायिक तौर मछली पालने के लिए दूसरे जिले से स्पान मंगाना पड़ता है। इस कमी को पूरा करने के लिए डांड़पारा में मछली बीज तैयार करने के लिए तालाब का निर्माण किया गया है। बारिश होने के बाद भी तालाब में पानी भराव के आसार नजर नहीं आ रहे है। यह स्थिति पिछले चार साल से बनी है। पीवीसी लाइनिंग से स्पान उत्पादन शुरू किया जा सकता है लेकिन मत्स्य विभाग की अनदेखी के चलते तालाबों का उपयोग नहीं हो पा रहा। गार्डरूम बना पर नहीं हुई नियुक्तितालाब की सुरक्षा के लिए चौकीदार आवास का निर्माण किया गया है।
मत्स्य विभाग की अनदेखी
विभाग की ओर से अब तक कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई है। तालाबो कें चारों ओर फेंसिंग तार का बाड़ लगाया गया है। देखरेख के अभाव में तार चोरी हो चुकी है। बाड़ लगाने वाले खंभों को उखाड़कर चोर ले गए है। लाखों की लागत से निर्मित तालाबों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। खनिज मद से आवास का निर्माण कराया गया था। इसका भी उपयोग नहीं पा रहा।
सरकारी तालाबों को नहीं दिया लीज पर ग्राम पंचायतों के सरकारी तालाबों में मछली पालन की असीम संभावनाएं है। तालाबों को लीज पर देने का प्रावधान है। मतस्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ मछुआरों को नहीं मिल पा रहा।
आजीविका मिशन व स्वावलंबन योजना के तहत गांव में संगठित महिला समूहों को तालाब लीज पर देने की योजना है। बीज की अनुपलब्धता व योजना की जानकारी के अभाव में समूहों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बाजारों में खप रही आयातित मछली ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले हाट बाजारों दीगर जिले से आयातित मछलियां खप रही है। गांव के तालाबों में व्यवसायिक पैमाने में मछली उत्पादन की संभावनाएं हैं। मछली उत्पादन के लिए लीज पर तालाबों को देने से पंचायत को राजस्व प्राप्त हो सकती है।
परंपरागत मछली उत्पादन पर निर्भरता
परंपरागत मछली उत्पादन पर निर्भरता व व्यवसायिक तौर पर उत्पादान की जानकारी के अभाव में मछली पालन से जुड़े पुश्तैनी मछुआरे आज भी आर्थिक रूप से विपन्न् हैं।प्रतिबंध के बाद भी जारी अवैध आखेट प्रजनन काल होने के कारण विभाग ने मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद नदी, तालाबों में धड़ल्ले से मछली निकाली जा रही है।
अंडेदार मछलियां अन्य सामान्य मछलियों से दोगुने दाम पर बिकती हैं। इस वजह हसदेव नदी, दर्री बांध के अलावा छोटे जलाशयों अवैध तरीके से मछली पकड़ने वालों को देखा जा सकता है।
विभागी अधिकारियों का मामले दखल नहीं होने मछलियों की कई प्रजाति विलुप्ति के कगार में हैं। फैक्ट फाइल16267- जिले में कुल तालाबों की संख्या312- मछुआ संगठन5.00- करोड़ स्पान उत्पादन का लक्ष्य15 -हजार क्विंलट प्रतिमाह खपतवर्जन डांड़पारा तालाब में मछली पालन के कार्ययोजना तैयार की गई है। वर्षा अभी शुरू हुई है, स्थानीय मछुआ संघ के लाभ के लिए मत्स्य बीज उत्पादन के लिए तालाबों को विकसित किया जाएगा। साथ ही संरक्षक की भी नियुक्ति की जाएगी। केके बघेल, उप संचालक मत्स्य-
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