कोरबा। बहुउद्देशीय हसदैव बांगो बांध परियोजना पर आधारित कोरबा शहरी क्षेत्र के अंतर्गत बनाए गए बैराज मैं जलस्तर अपनी कुल जल ग्रहण क्षमता के आसपास पहुंच रहा है । 85 मिलियन क्यूबिक मीटर जल ग्रहण क्षमता इसकी है। वास्तविक स्तर को पार करने या दवाब की स्थिति में यहां से पानी छोडऩे की स्थिति निर्मित होती है। हसदेव बेराज जल प्रबंधन संभाग इस पर निगरानी रखे हुए हैं।
कोरबा शहरी क्षेत्र में लोगों के साथ-साथ किसानों और औद्योगिक इकाइयों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बैराज का निर्माण पूर्ववर्ती मध्य प्रदेश के दौरान जल संसाधन विभाग की ओर से बनाया गया। जबकि मुख्य परियोजना के निर्माण में विश्व बैंक और मध्य प्रदेश सरकार की भूमिका रही। दोनों के वित्तीय सहयोग से इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने का काम 60 के दशक में किया गया। मुख्य परियोजना पर आधारित होकर छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी वर्तमान में 120 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रही है, जिसका निर्माण पूर्ववर्ती मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की ओर से कराया गया।
कोरबा के बिजली घरों के मामले में ट्रिपिंग की समस्या होने पर इसका समाधान करने का काम मिनीमाता जल विद्युत परियोजना करती है। सूचनाओं के अनुसार वर्तमान में दर्री स्थित हसदेव बैराज में पानी की पहुंच लगातार हो रही है। इसके बावजूद यहां का जलस्तर मेंटेन( व्यवस्थित) है। हसदेव बैराज जल प्रबंधन संभाग के अधिकारी ने बताया कि इस इकाई की जल ग्रहण क्षमता 85 मिलियन क्यूबिक मीटर है। मौजूदा स्थिति में इसके आसपास पानी का भराव हुआ है।
जबकि अंतिम स्थिति के करीब पानी की पहुंच फिलहाल नहीं हुई है। असामान्य हालत में बैराज से नदी में पानी की निकासी के लिए 12 गेट बनाए गए हैं। आवश्यकता के आधार पर इनके माध्यम से निर्धारित क्षमता में पानी को छोडऩे का प्रबंध किया जाता है। इस प्रकार की स्थिति तब निर्मित होती है जबकि नदी में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो और इसकी वजह से जल प्लावन के खतरे पैदा होते हैं। अधिकारी ने बताया कि अभी की स्थिति में हसदेव बैराज सामान्य स्थिति में है और इस पर हमारा सिस्टम लगातार निगरानी कर रहा है।
मैकेनाइज्ड सिस्टम से लगातार इस बारे में जानकारी मिलती है कि नदी के माध्यम से होते हुए यहां कितना पानी पहुंच रहा है और यह कितने क्षेत्र को कवर्ड कर रहा है। निर्धारित पैरामीटर के बिल्कुल करीब होने पर बैराज से पानी छोडऩे की जरूरत होती है और इसके लिए अग्रिम सूचना अलर्ट के माध्यम से जारी की जाती है। एक सप्ताह पहले लगातार बारिश होने से दबाव की स्थिति पैदा हुई थी और तब कुछ घंटे के लिए यहां से 8300 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड को नदी में छोड़ा गया था।
कोरिया की बारिश पर होता है सब कुछ निर्भर
हसदेव परियोजना भले ही कोरबा जिले में काम कर रही है और इसके माध्यम से घरेलू व्यावसायिक जरूरत को पूरा किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता यह है कि हसदेव नदी में आने वाला पानी कुल मिलाकर कोरिया जिले में होने वाली बारिश पर निर्भर करता है।
इसका मुख्य कारण यही है कि हसदेव का प्रवाह क्षेत्र झगराखण्ड से होता है। रास्ते में कई सहायक नदियां इसमें मिलती हैं और इसे विस्तार देती हैं। वहां से होता हुआ पानी परियोजना को विशाल रूप देता है और इसी के कारण बारिश के मौसम में कई बार बांध व बैराज से पानी छोडऩे की नौबत आती है।
Editor – Niraj Jaiswal
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