10 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद एसईसीएल प्रबंधन की स्वीकृति से हर्ष
कोरबा। ग्राम अमगांव जोकाहीडबरी के जिन भू-विस्थापितों को एसईसीएल प्रबंधन अपात्र मान कर मुआवजा से वंचित कर रहा था, उसी प्रबंधन ने आखिरकार इन्हें पात्र माना है। अब इन प्रभावितों के परिसंपत्तियों के मुआवजा का रास्ता साफ हो गया है। इनमें हर्ष व्याप्त है।
उल्लेखनीय है वर्ष 2010 में ग्राम अमगांव का अर्जन एसईसीएल गेवरा द्वारा किया गया था। 2015 में नापी-सर्वे के बाद जोकाही डबरी मोहल्ले के 91 परिवारों को उनके मकान व जमीन के बदले दिया जाने वाला मुआवजा प्रकरण जिला प्रशासन और प्रबन्धन द्वारा इन्हें अपात्र घोषित कर दिए जाने के कारण विगत 10 साल से लटका था। इसी साल जनवरी माह से ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा चलाए गए आंदोलन और प्रयास के बाद आखिरकार जिला प्रशासन ने अपात्र कर दिए गए लोगों को पात्र मानते हुए मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस संबंध में समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि जोकाहीडबरी स्थित 142 मकान और परिसम्पत्तियों का सर्वे के बाद 112 लोगों को खुद की जमीन पर मकान नहीं होने के कारण अपात्र किया गया था। उसके बाद 11 लोगों को पात्र मानते हुए मुआवजा का भुगतान कर दिया गया था, बाकी 91 प्रभावित पिछले 10 साल से मुआवजा पाने के लिए भटक रहे थे। ऊर्जाधानी संगठन ने जनवरी माह से धरना प्रदर्शन के साथ क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद पटेल का सहयोग लेकर दबाव बनाया और उसके बाद अपात्र किये प्रभावित लोगों को पात्र मानते हुए अनुविभागीय अधिकारी का आदेश जारी होने के बाद कार्यालय में आवेदन जमा लिए जा रहे हैं।
मुआवजा राशि में कटौती का विरोध
कुलदीप ने बताया कि 10 साल से मुआवजा के लिए इंतजार करने के बाद गेवरा क्षेत्र के भू-राजस्व कार्यालय द्वारा जारी आदेश और सूचना पत्र में निर्धारित राशि की जानकारी दी गयी है जिसमें पूर्व में स्वीकृत राशि में 30 प्रतिशत की कटौती की गई है। इसका विरोध और आपत्ति करते हुए आवेदन जमा कराया जा रहा है।
Editor – Niraj Jaiswal
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