मिडिल स्कूल में मध्यान्ह भोजन योजना की पोल खुली, हर दिन सिर्फ “आलू मखना”

महासमुंद। छत्तीसगढ़ सरकार भले ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा और पोषण को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक स्थित चनाट मिडिल स्कूल में मध्यान्ह भोजन योजना की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां बच्चों को हर दिन एक ही सब्जी “आलू मखना” परोसी जा रही है, जिसके चलते बच्चे भोजन खाना छोड़ रहे हैं।

मेन्यू में दाल-चावल, हकीकत में सिर्फ आलू मखना

स्कूल के बच्चों ने बताया कि मध्यान्ह भोजन के मेन्यू में दाल, चावल, हरी सब्जियां और फल जैसी पौष्टिक चीजें शामिल हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें हर दिन सिर्फ आलू और मखना की सब्जी दी जाती है। लगातार एक ही भोजन परोसने से नाराज बच्चे अब मध्यान्ह भोजन खाने से कतराने लगे हैं। इससे बच्चों के पोषण पर गंभीर असर पड़ रहा है, जो सरकार की मंशा के विपरीत है।

गुणवत्ता और स्वच्छता पर सवाल

बच्चों की शिकायतों के बाद अभिभावकों और ग्राम पंचायत के सदस्यों ने स्कूल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता के मानकों में भारी खामियां पाई गईं। खाना न तो पौष्टिक था और न ही स्वच्छता के न्यूनतम मानकों का पालन किया जा रहा था। गुस्साए पालकों और पंचायत सदस्यों ने इस मामले का पंचनामा बनाकर शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज कराई है।

ग्रामीणों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग

ग्राम पंचायत और अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से इस मामले में तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, लेकिन स्कूल प्रशासन की लापरवाही के कारण यह योजना मजाक बनकर रह गई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो वे इस मुद्दे को और ऊपर ले जाएंगे।

शिक्षा विभाग पर सवाल

प्रदेश सरकार द्वारा स्मार्ट क्लास, मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और मध्यान्ह भोजन जैसी योजनाओं पर भारी-भरकम बजट खर्च किया जा रहा है, लेकिन चनाट मिडिल स्कूल जैसे मामले इन योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर कर रहे हैं। शिक्षा विभाग को अब इस मामले में जवाबदेही तय करने और बच्चों के पोषण से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।