मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ठेकेदारों की मनमानी, जर्जर मार्ग और गंदगी से मरीज परेशान, हादसों का खतरा

कोरबा के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ठेकेदारों की मनमानी और अव्यवस्थित प्रबंधन ने मरीजों और उनके परिजनों के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर दी हैं। शाम ढलते ही गेट नंबर दो में ताला जड़ दिया जाता है, जबकि गेट नंबर एक के रास्ते पर निर्माण सामग्री और कीचड़ भरे गड्ढों ने आवागमन को जोखिम भरा बना दिया है। पिछले एक सप्ताह में आधा दर्जन से अधिक लोग इस जर्जर मार्ग पर गिरकर घायल हो चुके हैं, जिन्हें अस्पताल में ही इलाज कराना पड़ रहा है।

जर्जर मार्ग और हादसों का खतरा

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आपातकालीन कक्ष के सामने 50 बिस्तरों वाली क्रिटिकल यूनिट का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके लिए गेट नंबर एक को पहले बंद किया गया था, लेकिन अब इसे खोल दिया गया है। हालांकि, इस मार्ग पर गिट्टी और निर्माण सामग्री का ढेर लगा हुआ है, और बारिश के कारण कच्ची सड़क गड्ढों और कीचड़ से भर गई है। गेट नंबर दो को रात 8 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है, जिससे मरीजों और परिजनों को गेट नंबर एक के कीचड़ भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। इस दौरान कई लोग फिसलकर घायल हो रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में सुराकछार की चमेली बाई, पुरानी बस्ती के विजय, बोकरदरा के कृष्णा, रमेश राजवाड़े सहित आधा दर्जन से अधिक लोग इस मार्ग पर गिरकर चोटिल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कर इलाज दिया गया।

ठेकेदारों की मनमानी और प्रबंधन की लापरवाही

चार साल पहले मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने जिला अस्पताल को अधिग्रहित किया था, जिसके बाद साफ-सफाई और सुरक्षा के लिए ठेकेदारों को जिम्मेदारी सौंपी गई। पहले जीवन दीप समिति के कर्मचारी साफ-सफाई और नगर सैनिक सुरक्षा का काम संभालते थे, लेकिन अब ये काम ठेकेदारों के हवाले हैं। अस्पताल भवन का जीर्णोद्धार हुआ है, और डॉक्टरों व कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से ओपीडी और आईपीडी में मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। हालांकि, सुविधाओं के साथ-साथ समस्याएं भी बढ़ी हैं। ठेकेदारों की मनमानी के कारण गेट नंबर दो को समय से पहले बंद करना और निर्माण सामग्री को सड़क पर बेतरतीब ढंग से छोड़ना मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।

पुलिस मेमो से बढ़ी घायलों की चिंता

जर्जर मार्ग पर गिरकर घायल होने वाले लोगों को न केवल शारीरिक चोट का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा पुलिस सहायता केंद्र को मेमो भेजे जाने से उन्हें कानूनी कार्रवाई का डर भी सता रहा है। यह स्थिति मरीजों और उनके परिजनों के लिए अतिरिक्त मानसिक तनाव का कारण बन रही है। नागरिकों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन को पहले अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए, न कि घायलों पर कार्रवाई की धमकी देनी चाहिए।

नागरिकों की मांग: तत्काल सुधार

मरीजों और स्थानीय लोगों ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और ठेकेदारों से मांग की है कि गेट नंबर दो को रात में खुला रखा जाए और गेट नंबर एक के मार्ग को तत्काल ठीक किया जाए। निर्माण सामग्री को व्यवस्थित करने, कीचड़ भरे गड्ढों की मरम्मत, और सड़क पर नियमित सफाई की जरूरत है। इसके साथ ही, अस्पताल परिसर में सुरक्षा और साफ-सफाई के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की जा रही है।

प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल

मेडिकल कॉलेज अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र में इस तरह की अव्यवस्था ने प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों और परिजनों का कहना है कि अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ बुनियादी जरूरतों जैसे सुरक्षित आवागमन और स्वच्छता पर भी ध्यान देना जरूरी है। अब यह देखना बाकी है कि अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन इस समस्या का कितनी जल्दी समाधान करता है, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को राहत मिल सके।