कोरबा। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO) पर शासकीय भूमि पर कथित अतिक्रमण और अवैध बहुमंजिला निर्माण का गंभीर आरोप लगा है। आदिनिवासी गण परिषद ने जिला दंडाधिकारी को पत्र लिखकर इस मामले की तत्काल जांच और कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। संगठन ने इसे छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 248 का स्पष्ट उल्लंघन बताया है।
आदिवासी संगठन के अनुसार, बालकोनगर के सेक्टर-6 में BALCO द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को पूर्व में जिला प्रशासन ने प्रतिबंधित किया था। इसके बावजूद, कंपनी ने निर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया है। शिकायत में कहा गया है कि जिस भूमि पर निर्माण हो रहा है, उसका स्वामित्व स्पष्ट नहीं है और भूमि आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। संगठन ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास अधिनियम, 2013 के उल्लंघन की भी आशंका जताई है।
शासकीय भूमि पर निर्माण: BALCO पर बालकोनगर, सेक्टर-6 में सरकारी जमीन पर बहुमंजिला इमारत बनाने का आरोप है। पूर्व जिला कलेक्टर रानू साहू, एसडीएम श्री नायक और तहसीलदार श्री साहू ने इस स्थान पर निर्माण पर रोक लगाई थी, फिर भी निर्माण कार्य जारी है।
खसरा रिकॉर्ड में विसंगतियां: 1973 में BALCO को आवंटित खसरा नंबर वर्तमान निर्माण स्थल से मेल नहीं खाता, जिससे दस्तावेजों में हेराफेरी की आशंका है।
नजरी नक्शे पर संदेह: पूर्व पटवारी द्वारा प्रदान किए गए नजरी नक्शे की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं, जो भू-राजस्व संहिता की धारा 117 के तहत सत्यापन के अभाव में अवैध हो सकता है।
पिछले अतिक्रमण: BALCO पर पहले भी थाना परिसर के पास शासकीय भूमि पर अवैध निर्माण का आरोप लग चुका है, जहां एक अनुपयोगी थाना भवन 12 वर्षों से पड़ा है।
शिकायत में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (दस्तावेज जालसाजी), और 447 (आपराधिक अतिचार) के साथ-साथ भू-राजस्व संहिता की धाराओं 115, 117, 248, और 250 के उल्लंघन का उल्लेख किया गया है। संगठन ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन।
निर्माण कार्य पर तत्काल रोक।
सभी अतिक्रमणों की व्यापक जांच।
दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई।
मामला क्यों महत्वपूर्ण?
यह मामला न केवल शासकीय भूमि की सुरक्षा, बल्कि औद्योगिक भूमि नीति की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। आदिवासी समुदायों के अधिकारों और राष्ट्रीय संपत्ति के संरक्षण के दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण मामला है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह उदाहरण अन्य औद्योगिक इकाइयों के लिए भी सबक हो सकता है।
आदिनिवासी गण परिषद ने प्रशासन से निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की अपील की है, ताकि जनता का शासन पर विश्वास बना रहे। अब सबकी नजरें जिला प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।
Editor – Niraj Jaiswal
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