जांच के दौरान नहीं जुटाए जाते पर्याप्त साक्ष्य, छूट जाते हैं शिकारी

कोरबा: हाथी भालू व अन्य जीवों को करंट के फंदे अथवा जहर देकर मारने की घटनाएं सामने आती है। वन्य जीव क्षति के मामले में बीते पांच वर्षों एक भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। चैतमा वन परिक्षेत्र के राहा जंगल में जहर देकर मारे गए तेंदुआ का गायब पंजा और दांत अभी भी वन विभाग को नहीं मिला है।

विभाग ने पता देने वाले को 10 हजार रूपये नकद इनाम देने के साथ नाम गोपनीय रखने की बात कही है।
तेजी से सिमट रहे जंगल की वजह वन्य जीवों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

गिनती के बचे विशेष संरक्षित जीव भी काल के गाल में समा रहे हैं। उससे बड़ी विडंबना यह वन्य जीवों के अस्तित्व के खिलवाड़ करने वालों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। साक्ष्य के अभाव में बच कर निकल जाते हैं।

साल भर पहले मोरगा के जंगल में भालू को करंट देकर सारा गया। पसान में हाथी के बच्चे को मारकर दफना दिया गया था। साक्ष्य छिपाने के लिए ऊपर में धान के पौधे को रोप दिया गया था।

इन घटनाओं वन विभाग पर्याप्त साक्ष्य जुटा नहीं पाई। अपराधी अब भी शिकंजे से बाहर हैं। इसी तरह राहा जंगल में तेंदुए की मौत के बाद मामले में जुड़े सभी अपराधियों तक वन विभाग की पहुंच होगी या नहीं, इसमें भी संशय बनी हुई है। बताना होगा कि घटना स्थल में मुआयना के बाद मृत तेंदुआ के पीठ का छाल, दो नग दांत और छह नाखून को गायब पाया गया है। तेंदुआ के मौत के मामले तीन आरोपितों उसे मारन की बात भी स्वीकार ली है। उनके घर की तालाशी और पूछताछ से तेंदुए का गायब अंग उनके पास से नहीं मिला है।

वन विभाग का मानना है गांव में गुनिया बैद्य अथवा तंत्र-मंत्र से जुड़े लोगों ने घटना को अंजाम दिया होगा। वन विभाग की ओर इनामी घोषण के लिए पांपलेट भी छपवाया गया है। वन क्षेत्र में संरक्षित जीव तेंदुआ की मौत ने सुरक्षा की पोल खोल दी है। गौर करने वाली बात यह कि वन क्षेत्र में पालतू मवेशियाें का वन्य जीवों से नुकसान होने पर मुआवजे का प्रविधान है, इसके बाद भी तेंदुए को जहर देकर मार डाला गया।

वन विभाग की ओर से व्यापक प्रचार प्रसार के अभाव इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। बहरहाल विभाग की ओर इनाम की घोषणा किए जाने तेंदुआ के गायब अंगों के रहस्य से पर्दा उठने की संभावना बनी हुई है। तेंदुआ के विचरण क्षेत्र में सुरक्षा का व्यापक इंतजाम नहीं किया गया तो शिकारियों की सक्रियता बढ़ सकती है।